रायगढ़

पार्षद व मोहल्लेवासियों के विरोध के बावजूद भी कैसे मिली अनुमति, मीना बाजार कहीं हाथरस जैसी घटना को दे सकता है आमंत्रण

रायगढ़। रायगढ़ के सावित्री नगर में एक बार फिर से पिछले साल की तरह इस बार भी मीना बाजार सजने जा रहा है और इसकी अनुमति भी एसडीएम कार्यालय से जारी हो चुकी है। मजे की बात यह है कि आम आदमी को किसी भी अनुमति के लिये चक्कर पे चक्कर लगाने पड़ते हैं लेकिन मीना बाजार संचालक को एसडीएम कार्यालय से मात्र दो दिन के भीतर ही न केवल अनुमति मिल गई बल्कि उनकी अनुमति देने के लिये पुलिस विभाग, नगर निगम प्रशासन ने भी देरी नही लगाई। जिससे यह साफ हो जाता है कि मोहल्लेवासी व स्थानीय पार्षद की आपत्तियों को दरकिनार करते हुए मीना बाजार संचालक को न केवल अनुमति दे दी गई बल्कि जिस जगह दोबारा मीना बाजार लग रहा है वह जगह बड़े हादसे का कारण भी बन सकती है। उत्तर प्रदेश की हाथरस की घटना के बाद भी जिला प्रशासन उससे सीख नही ले रहा है।
जन्माष्टमी मेले के लिये रौनक के रूप में मीना बाजार की अलग पहचान है लेकिन धीरे-धीरे बढ़ते शहर के साथ-साथ घटती सड़क के अलावा टेªफिक के दबाव के कारण अब मीना बाजार का सुरक्षित जगह लगाने की पहल प्रशासन को करनी चाहिए थी पर राजनीति दबाव कहिये या कुछ दलालों की गंदी राजनीति जिसके कारण सावित्री नगर, बेनीकुंज, मौदहापारा, रेलवे कालोनी के अलावा अन्य मोहल्लों की परेशानियों को कुडेदान में डालते हुए प्रशासन ने इस जगह फिर से अनुमति ले ली है जबकि सावित्री नगर में मीना बाजार लगने से रास्ते जाम हो जात है और वहां के रहवासियों को दिन व रात मीना बाजार से उठते स्वर तथा अपराधिक घटनाओं के अलावा टेªफिक जाम से जूझना पडता है। इसके बावजूद टेªफिक विभाग ने कैसे इस जगह पर मीना बाजार लगाने की क्लीन चिट दी है यह समझ से परे है।
नगर निगम प्रशासन के पास आम आदमी या किसी निर्माण कार्य के लिये अनुमति का आवेदन लगाया जाता है तो चक्कर के चक्कर लगाने के बाद भी अनुमति नही मिलती, लेकिन मीना बाजार संचालक को उसकी मनमानी करने के लिये निगम प्रशासन ने कुछ घंटे के भीतर ही न केवल अनापत्ति प्रमाण पत्र दे दिया बल्कि जिस जगह मीना बाजार लगाया जा रहा है उस जगह की जांच तक नही की। जानकार सूत्र बताते हैं कि सावित्री नगर की एकमात्र सड़क के पास लगने वाले मीना बाजार से करीब आधा दर्जन मोहल्लों की सड़कें जाम हो जाती है और इतना ही नही उस जगह अपराधिक तत्वों का जमावडा तथा छेड़छाड की घटनाएं बढ़ जाती है। साथ ही साथ देर रात तक हो हल्ला के कारण स्थानीय निवासियों की नींद हराम हो जाती है। पिछले साल हाईकोर्ट ने भी इस मामले में कई टिप्पणी की थी लेकिन प्रशासन ने हाईकोर्ट की टिप्पणी को भी न केवल नजर अंदाज कर दिया गया है बल्कि मोहल्लेवासियों को एक बार फिर से परेशानियों से जूझने के लिये अपने हाल पर छोड़ दिया है।
इस संबंध में हमने रायगढ़ एसडीएम प्रवीण तिवारी से जब बात की तो उन्होंने कहा कि उनके पास मीना बाजार संचालक का आवेदन आया था और मात्र मुक्तिनाथ बबुआ की आपत्ति आई थी लेकिन नगर निगम प्रशासन व पुलिस प्रशासन के अलावा टेªफिक विभाग ने कोई आपत्ति नही की जिसके चलते उन्होंने यह अनुमति जारी की है। एसडीएम प्रवीण तिवारी को शायद यह नही मालूम की जनहित को देखते हुए स्थानीय पार्षद ने लिखित आपत्ति की थी तो इस संबंध में मोहल्लेवासियों का भी तर्क लेना था और आसपास रेलवे तथा चर्च व एकमात्र सड़क पर भी गौर करना था इतना ही नही प्रशासन को इस बात की भी जानकारी होनी चाहिए थी कि जिस जगह मीना बाजार सजाया जा रहा है उसके ठीक सौ मीटर की दूरी पर रेलवे का रैक पाइंट है जहां हर दूसरे दिन चावल व सीमेंट तथा अन्य सामानों की रैक लगती है और इसके लिये वाहनों का आवागमन भी लगातार जारी रहता है। ऐसे में टेªफिक की बडी समस्या बनी रहती है और मीना बाजार लगने से दोहरी मार स्थानीय मोहल्लेवासी झेलेंगे।
बहरहाल देखना यह है कि हाथरस की घटना से सबक लेकर अगर जिला प्रशासन इस मामले में दी गई अनुमति पर गौर करें तो मीना बाजार के कारण स्थानीय रहवासियों को राहत की सांस मिल सकती है। साथ ही साथ बड़े हादसे से भी बचा जा सकता है।

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