रायगढ़ में डीजे संचालकों ने खोला मोर्चा, मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन, प्रतिबंध को शीथिल करने उठाई मांग
रायगढ़। रायगढ़ जिले में आज डीजे साउण्ड युनियन ने भी मोर्चा खोल दिया है। हाईकोर्ट ने कानफोडु डीजे पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाया है। इस आदेश के जारी होते ही डीजे संचालकों में हडकंप की स्थिति निर्मित हो गई है। आगामी दुर्गा पूजन एवं अन्य सामाजिक कार्यक्रमों में ध्वनि विस्तारक यत्र के उपयोग पर लगाये गए प्रशासनिक प्रतिबंध को शीथिल करने की मांग को लेकर युनियन के सदस्यों ने मुख्यमंत्री के नाम जिलाधीश को ज्ञापन सौंपा है।
यूनियन के सदस्यों का कहना था कि वर्तमान में छत्तीसगढ़ शासन-प्रशासन के द्वारा डीजे व धुमाल पर पूर्णत प्रतिबंध लगा दिया गया है। शासन का कहना है कि वाहन में साउण्ड सिस्टम नही बांधना है, परंतु बिना वाहन के साउण्ड रनिंग जुलूस, झांकी या अन्य किसी रोड शो में रनिंग डीजे चला पाना संभव नही है। 55 डीबी में साउण्ड और धुमाल को बजाना कहा गया है जो कि कभी भी संभव नही है क्योंकि एक बार का हार्न 90 डीबी से ज्यादा बजता है तो 55 डीबी में किसी भी साउण्ड सिस्टम को चलाना संभव नही है।
साउण्ड सिस्टम डीजे और धुमाल वालों के उपर प्रशासन द्वारा अपराधिक धाराएं लगाने को कहा गया है जबकि देखा जाए तो डीजे संचालकों को त्यौहारों और कई खुशियां बनाने के लिये कार्य मिलता है और आजकल कार्यवाही के रूप में साउण्ड और धुमाल वालों के सामानों को जब्त व राजसात करने और जुर्माना देने की धमकी दी जा रही है।
यूनियन के सदस्यों ने कहा कि विगत दिनों भिलाई के एक डीजे साउण्ड संचालक ने इसलिये आत्महत्या कर ली क्योंकि प्रशासन द्वारा साउण्ड सिस्टम के व्यवसाय पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। चूंकि वह बैंक से 25 लाख रूप ये का लोन ले रखा था। ऐसी स्थिति में साउण्ड सिस्टम संचालकों का भविष्य संकट में पड़ गया है। कई जगह साउण्ड सिस्टम को बदनाम करने की झूठी खबरें फैलाई जा रही है कि डीजे बजने की वजह से किसी की मृत्यु हो गई है। वो भी बिना किसी प्रमाण के, जबकि डीजे साउण्ड और धुमाल वाले कई सालों से यह कार्य करते आ रहे हैं।