नमक कानून की तर्ज पर कोयला सत्याग्रह में जुटे 30 गांव के ग्रामीण, 2010 से अनवरत चल रहा आंदोलन
जल जंगल जमीन की लड़ाई अब भी जारी
रायगढ़। जिले के तमनार क्षेत्र में गांधी जयंती के अवसर पर कोयला सत्याग्रह का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें आसपास के 30 से अधिक गांव के ग्रामीण हिस्सा ले रहे हैं।
रायगढ़ जिले के तहसील तमनार के ग्राम पंचायत पेलमा में 15 वां कोयला सत्याग्रह का आयोजन किया गया। इस आयोजन की शुरूआत सबसे पहले गांधी जी एवं लालबहादुर शास्त्री जी के चित्र पर माल्यार्पण कर आयोजन की शुरुआत किया गया जिसमें कोयला प्रभावित क्षेत्र के हजारों की संख्या में महिला पुरुष युवा जनप्रतिनिधि छात्र छात्राएं शामिल हुए। तमनार क्षेत्र में ग्राम गारे में 2010 से कोयला सत्याग्रह का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें देश विदेश के सामाजिक कार्यकर्ता शामिल तमनार पहुंचते हैं।
प्राकृतिक संसाधन में सामुदायिक हिस्सेदारी गांधी जी के नमक सत्याग्रह की तर्ज पर तमनार के ग्रामीणों द्वारा कोयला सत्याग्रह का विगत 15 बरसों से यह आयोजन किया जा रहा है जिससे सभी समुदाय के लोग हिस्सेदारी कर रहे हैं।
कोयला सत्याग्रह की लड़ाई अमेरिका के के मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी अमेरिका के कालेज में पढ़ाया जा रहा है कोयला सत्याग्रह की लड़ाई को लेकर कई अध्ययन एवं शोधकर्ताओं द्वारा शोध किया गया है जिसमें टाटा सामाजिक अनुसंधान संस्थान मुंबई अजीम प्रेमजी फाउंडेशन बंगलौर जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी दिल्ली के छात्र छात्राओं द्वारा क्षेत्र भ्रमण कर अध्धयन किया गया।
खनन प्रभावित क्षेत्र में महिलाओं और बच्चों को लेकर अमेरिका के छात्र द्वारा पीएचडी किया गया है कोयला सत्याग्रह दुनिया के आन्दोलन में से ऐसा आन्दोलन है जों विगत 15 बरसों से गांधीजी के जीवन से सीखकर अहिंसात्मक आंदोलन चल रहा है यहां आन्दोलन में समुदाय के अंतिम व्यक्ति मजदूर किसान महिला पुरुष छात्र युवा सभी के एकजुटता एवं सहयोग से चलाया जा रहा है।
कोयला सत्याग्रह आंदोलन को पढ़ने समझने के लिए जहां इंग्लैंड के इण्डियन कालेज हालैंड के कालेज, के शोधार्थियों के शोध के विषयों में शामिल रहा वही जिले की मलेशियाई छात्रों कोयला सत्याग्रह आंदोलन में विगत 18 वर्षो से भारतीय विश्वविद्यालय जिसमें टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस, दिल्ली ला कालेज के छात्रों के द्वारा सतत रूप से आश्चर्य का विषय में से एक रहा है ये छात्र कोयला सत्याग्रहियों के घरों में महीनों रहकर यह जानने है कि देश प्राकृतिक संसाधनों पर प्राथमिक अधिकार, देश के विभिन्न गैर कृषि क्षेत्र में भू अधिकारों, आदिवासियों के, महिलाओ के अधिकार ,वन अधिकार कानूनों को गाँधीवादी तरीके से संसाधनों प्रबंधन,संवर्धन,संरक्षण के साथ ही अब तक के प्रमुखों देश के माननीय न्यायालयों द्वारा दिए गए निर्णयों को लेकर सरकारों से लगातार नीतिगत उपाय और इस पर विचार विमर्श का एक खुला मंच भी वनांचल कोयलांचल क्षेत्र की कंपनियों को चुनौतियों से रुबरु करवाने वाले और कोई नहीं यही कोयला सत्याग्रहियों है जो पिछले 15 वर्षो से सरकारी और निजी कंपनियों को बिना कोई एक कंकर चलाए ही एक इंच अपनी जमीन जल जंगल गाँव को विरासत के रूप मे आने वाले पीढ़ी के लिए विरासत सहेज कर अहिंसात्मक रंद आंदोलन अपने आप मे एतिहासिक काल है।
कोयला सत्याग्रह की जो मूल्य है वह मूल्यवान इसलिए है क्योंकि इसमें कोयला सत्याग्रहियों आदिवासी महिलाओ के जहां नेतृत्वकर्ता है तो सभी जातियों धर्मों के लोगों के घरों से अनाजों को इकठ्ठा ही नहीं करते ब्लकि कोयला सत्याग्रही युवाओं की भागीदारी और गाँव के बुजुर्गों की सलाह मशविरा सामाजिक संगठन एनजीओ मीडिया सरकारी अधिकारियों को भी शामिल कर सुझावों पर विचार विमर्श किया जाता है।