कपट पूर्वक जमीन बिकवाकर फर्जी कंपनी में कराया निवेश, तीन आरोपियों को अदालत ने सुनाई तीन-तीन साल की सजा
एक – एक लाख से अधिक का जुर्माना भी ठोका
जुर्माने की राशि से पीड़ितों को मिलेगी क्षतिपूर्ति राशि
रायगढ़। थाना भूपदेवपुर क्षेत्र अंतर्गत नवरंगपुर के ग्रामीणों से जमीन की बिक्री कराने के बाद कपट पूर्वक पल्स गोल्ड इंडिया कंपनी में निवेश कराकर लाखों रूपये की धोखाधड़ी करने के मामले में न्यायालय ने आज तीन आरोपियों को अलग-अलग धाराओं में तीन-तीन वर्ष के कारावास और जुर्माने से दंडित किया है।
अभियोजन पक्ष के अनुसार मामला संक्षेप में इस प्रकार है कि प्रार्थी गांधीराम ने भूपदेवपुर थाने में रिपोर्ट कराया था कि उसके साथ छल, कपट, धोखा करते हुए डमरूधर, केशव जायसवाल मेसर्स पल्स गोल्ड इंडिया लिमिटेड बिलासपुर तथा शक्ति के गोस्वामी और बिलासपुर के त्रिपाठी सभी के द्वारा उसे धोखा में रखकर उसके ग्राम नौरंगपुर में स्थित भूमि कुल ख. नं.4 रकबा 20364 हे. को डमरू जायसवाल के द्वारा दबाव बनाते हुए के्रता केशव जायसवाल से 12 लाख में विक्रय 24 जुलाई 2012 को निष्पादित कर केशव द्वारा मिलीभगत कर 5 लाख रूपये को गोल्ड रियल स्टेट इंडिया लिमिटेड में फिक्स डिपाॅजिट तथा 5 लाख रूपये को प्रतिमाह ब्याज 7 हजार रूपये प्रतिमाह उसे प्राप्त होगा कहते हुए स्कीम पर रकम को लगा दिया तथा उसे समझाईश दी गई कि इस अवस्था में उसे बुढापे का सहारा हो जाएगा। 5 लाख डबल हो जाएगा और 5 लाख का 7 हजार रूपये ब्याज मिलेगा कहकर पल्स गोल्ड इंडिया लिमिटेड में 50 हजार रूपये का 10 सर्टिफिकेट एवं 7 हजार रूपये वाला 24 नग चेक तथा 10 नग चेक गोस्वामी, जो स्वयं को ब्रांच मैनेजर, सक्ति का बताया उसने अपने पास रख लिया। डमरू डनसेना भी 7 हजार रूपये वाला चेक अपने पास रख लिया। उसे चेक की राशि नही मिलने पर शंका हुई तथा डमरू डनसेना के घर जाकर पूछने पर उसने पैसा निकालकर खा लेने तथा गोस्वामी, त्रिपाठी और केशव से पैसा लेना कहकर अश्लील गालियां देते हुए जान से मारने की धमकी दिया। चार वर्षो से आरोपीण से संपर्क कर रकम वापस किये जाने हेतु कहने पर उनके द्वारा आज कल में देने तथा रिपोर्ट नही करने के लिये कहा जाता रहा बाद में डमरू डनसेना के द्वारा बताया गया कि कंपनी बंद हो गया है। जिसके बाद प्रार्थी ने भूपदेवपुर थाने में लिखित शिकायत की। पुलिस ने इस मामले में धारा 420, 120बी, 34, 294, 506 बी के तहत अपराध दर्ज किया और आरोपियों की पतासाजी करते हुए उन्हें गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया इस दौरान इनमें से एक आरोपी राजेश त्रिपाठी फरार चल रहा था। जो आज भी फरार है।
उक्त मामला उपार्पण पश्चात छत्तीसगढ़ राज्य के निक्षेपकों के हितों का संरक्षण अधिनियम 2005 के अंतर्गत विशेष न्यायाधीश जितेन्द्र कुमार जैन की अदालत में पहुंचा, जहां दोनों पक्षों की सुनवाई पश्चात विद्वान न्यायाधीश ने इस मामले में आरोपियों को धोखाधड़ी का दोष सिद्ध मानते हुए क्रमशः प्रदीप कुमार जैन एवं नीरज गोस्वामी को धारा 420, 120बी, 409, 120 बी तथा छत्तीसगढ़ राज्य के निक्षेपकों के हितों का संरक्षण अधिनियम 2005 की धारा 10 के तहत अलग-अलग धाराओं में तीन वर्ष के कारावास और एक लाख दो हजार रूपये के जुर्माने से दंडित किया है। अर्थदण्ड न पटाने पर आरोपी को अतिरिक्त 6 माह का कारावास भुगताने की व्यवस्था दी गई है। इसी तरह आरोपी केशव जायसवाल को धारा 420, 120 बी तथा 409, 120 बी के तहत अलग-अलग धाराओं में तीन वर्ष के कारावास तथा 1 लाख 2 हजार के जुर्माने से दंडित किया है। यहां भी अर्थदण्ड न पटाने पर 6 माह अतिरिक्त कारावास भुगतान की व्यवस्था दी गई है। निर्णय में यह भी कहा गया है कि जुर्माने की राशि से निवेशक व प्रार्थी गांधीराम की मृत्यु हो जाने के कारण गजाराम उर्फ गजानंद को डेढ़ लाख रूपये, डमरूधर को 6 हजार रूपये तथा पुरनलाल को 70 हजार रूपये क्षतिपूर्ति दी जाये। इस मामले में लोक अभियोजक दीपक शर्मा ने पैरवी की।